महाराष्ट्र के उपभोक्ता आयोग ने मांसाहारी खाने से जुड़े विवाद को लेकर सख्त टिप्पणी की। आयोग ने कहा कि अगर मांसाहारी भोजन से शाकाहारी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो वह शाकाहारी और मांसाहारी दोनों भोजन देने वाले रेस्तरां से खाना क्यों मंगवा रहा है? आयोग ने एक भोजनालय के खिलाफ दो व्यक्तियों की शिकायत को खारिज कर दिया। भोजनालय पर आरोप लगाया गया था कि उन्हें गलत तरीके से मांसाहारी भोजन परोसा गया था।
आयोग ने कहा कि यदि शिकायतकर्ता पूरी तरह से शाकाहारी थे और मांसाहारी भोजन से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, तो उन्होंने ऐसे रेस्तरां से भोजन क्यों मंगवाया, जो मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह का भोजन परोसता था। बजाय इसके कि वे ऐसे रेस्तरां से भोजन मंगवाएं, जो पूरी तरह शाकाहारी था और केवल शाकाहारी भोजन परोसता था। एक विवेकशील व्यक्ति खाने से पहले शाकाहारी और मांसाहारी भोजन के बीच अंतर करने में सक्षम होता है।
शिकायत में यह आरोप लगाए गए
शिकायतकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने 19 दिसंबर, 2020 को मुंबई के सायन में एक वाउ मोमोज आउटलेट से सॉफ्ट ड्रिंक के साथ स्टीम्ड ‘दार्जिलिंग मोमो कॉम्बो’ का ऑर्डर दिया था। उन्होंने दो बार अपनी शाकाहारी पसंद पर विशेष जोर दिया। लेकिल उन्हें स्टीम्ड चिकन दार्जिलिंग मोमोज मिले। रेस्तरां के कर्मचारियों ने उनके निर्देशों की अनदेखी की तथा आउटलेट पर लगे डिस्प्ले बोर्ड पर स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि भोजन में शाकाहारी या मांसाहारी विकल्प है या नहीं। कंपनी की लापरवाही के कारण उन्हें मानसिक आघात, भावनात्मक परेशानी हुई तथा उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। उन्होंने कंपनी से छह लाख रुपये मुआवजा मांगा।
कंपनी ने खारिज किए आरोप
शिकायकर्ताओं के आरोपों को कंपनी ने खारिज कर दिया। कंपनी ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ताओं ने स्वयं मांसाहारी वस्तुओं का ऑर्डर दिया था, जो उनके बिल में दर्शाया गया है। शिकायतकर्ताओं ने कंपनी के कर्मचारी के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया तथा उपद्रव मचाया। उन्हें ऑर्डर वापस करना पड़ा तथा उत्पाद निःशुल्क उपलब्ध कराने पड़े। कंपनी ने दलील दी कि रिफंड के कारण शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ग्राहक नहीं थे। इसके बाद भी कंपनी ने उन्हें 1,200 रुपये का उपहार वाउचर देने की पेशकश की, लेकिन शिकायतकर्ताओं ने मुआवजे की मांग की। यह शिकायत कंपनी को परेशान करने के इरादे से की गई है।